अनिल चन्दोला
देहरादून। पिछले कई समय से विवादों से घिरे प्रेमचंद अग्रवाल ने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बजट सत्र में उनकी टिप्पणी और उसके बाद प्रदेशभर में लोगों के गुस्से के बाद से ही, उनकी कैबिनेट से विदाई तय मानी जा रही थी। उनसे इस्तीफा दिलाने के बाद भाजपा किसी तरह इस पूरे मामले का पटाक्षेप करने में जुट जाएगी। इस पूरे प्रकरण से हुए डैमेज को कंट्रोल करने के लिए भी काम होगा। हालांकि इससे तुरंत बहुत ज्यादा फायदा होगा, इसकी संभावना बेहद कम ही है।
प्रेमचंद अग्रवाल से इस्तीफा दिलवाकर भाजपा प्रदेशभर में बने उस नकारात्मक माहौल को खत्म करने का प्रयास जरूर करेगी, जो राजनीतिक रूप से पार्टी के लिए खतरनाक है। प्रेमचंद अग्रवाल पहले भी कई विवादों में घिरे रहे। कभी विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए बैकडोर भर्तियां करने, अपने बेटे को उपनल के माध्यम से नौकरी दिलवाने, सड़क पर मारपीट करने, भाजपा दर्जाधारी के साथ सार्वजनिक रूप से गाली-गलौच जैसे प्रकरणों के चलते प्रेमचंद अग्रवाल हमेशा पार्टी के लिए परेशानी पैदा करते रहे। हालांकि राजनीति में इतनी शुचिता की बात करना भी बेईमानी है कि कोई नेता ऐसे प्रकरणों में अपनी गलती मानते हुए खुद ही पद छोड़ दे। ना राजनीतिक दल ऐसा करते हैं। ऐसे में आज तक उनकी सभी गलतियों को नरअंदाज किया गया। लेकिन इस बार जिस तरह सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार, संगठन और नेताओं की छीछालेदर हुई, उससे पार्टी को सख्त निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रदेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। बॉबी पंवार, मोहित डिमरी और अन्य युवाओं ने भी पहाड़ के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी को जोर-शोर से उठाया। उनके मोर्चा बनाने से भी अंदरूनी तौर पर भाजपा को पहाड़ी वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा सताने लगा। यही कारण है कि प्रेमंचद अग्रवाल को इस्तीफा सौंपने का फरमान जारी कर दिया गया।
मौजूदा हालातों में इस इस्तीफे के बाद भी भाजपा को बहुत ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। उल्टा अग्रवाल के बयान के बहाने भाजपा को घेर रहे गुटों को इससे ज्यादा ताकत मिलेगी। अग्रवाल के इस्तीफे को विरोधी पार्टियां और गुट अपनी जीत के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं। उनकी माने तो अब लड़ाई ऋतु भूषण खंडूड़ी, सुबोध उनियाल, महेंद्र भट्ट जैसे नेताओं को हटाने के लिए लड़ी जाएगी, जिन्होंने न सिर्फ प्रेमचंद अग्रवाल का साथ दिया, बल्कि उनसे दो कदम आगे जाकर आग में घी ड़ालने का काम किया। इससे एक बार नया आंदोलन खड़ा हो सकता है।